...

18 views

पिता
पिता
पिता का कुछ अनोखा सा है साया
उनका कर्ज ऐसा कि कोई नहीं चुका पाया
पिता से मिलती हमें पहचान
कभी न कम होने दो उनका मान
पिता जो पूरे घर का बोझ उठाते
बिठाकर अपने कंधो पर हमें भी घुमाते
बेटी के सब नखरे उठाना
और बेटे के सच्चे मित्र बन जाना
पिता के पास नहीं कोई सोशल मीडिया
न ईमेल की जरूरत न कोई विकिपीडिया
फिर भी उनके पास है भरपूर ज्ञान
जहां रिश्तों को देते है सम्मान
पिता के होने से हर मुश्किल काम बन जाते
उनके पास हर समस्या का हल, जो हम नहीं कर पाते
रुला जाती है पिता को बेटी की विदाई
अपनी ही बेटी का दान,यह कैसी रीत बनाई
खुशनसीब है वो जिनको मिलता पिता का प्यार
पिता का हर दिन मनाओ ,रविवार हो या सोमवार
पिता और बच्चों का यह प्यारा सा बंधन
हर जगह मिलता प्यार फिर वो दिल्ली हो या हो लंदन !