~कभी खामोशी भी पढ़ लिया करो..
दिल की अनछुई टहनियों पर भी चढ़ लिया करो।
ए दोस्त, कभी खामोशी भी पढ़ लिया करो।।
शिद्दत की चाहत में, अल्फ़ाज़ ढूंढने वाले,
दिल में बसे हो, दिल की आवाज ढूंढने वाले,
बंद कर आंखो को, चांद तारे गढ़ लिया करो।
ए दोस्त, कभी खामोशी भी पढ़ लिया करो।।
सब कुछ बयां नहीं होता, जज्बात या हालात हों,
सब कुछ कह नहीं सकते, साथ या मुलाकात हो,
कभी धड़कनों की सदाएं भी सुन लिया करो।
ए दोस्त, कभी खामोशी भी पढ़ लिया करो।।
मुद्दत को यहां जीने, आखिर कौन आया है,
बस सोच का है फर्क, कौन अपना पराया है,
मत पकड़ो उंगलियां, पर साथ चल लिया करो।
ए दोस्त, कभी खामोशी भी पढ़ लिया करो।।
आखिर सागर की गहराई को कौन माप पाया है,
आखिर आसमां की परछाईं को कौन भांप पाया है,
दिल के सागर में, आसमां सा इश्क़ भर दिया करो।
ए दोस्त, कभी खामोशी भी पढ़ लिया करो।।
तुझ में मिलने की चाहत, भले हो मिटने की आहट,
मुहब्बत सा सुकुं कुछ है नहीं, हर दिल की है राहत,
मेरे दिल में भी सुकून ए मुहब्बत भर दिया करो।
ए दोस्त, कभी खामोशी भी पढ़ लिया करो।।
-D. B. Muskan
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