...

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कभी चांद को छोड़, तारों को देखा हैं?
कभी चांद को छोड़, तारों को देखा हैं?
दूर रहकर भी जो दिल में सुकुन लाए उन सितारों को देखा हैं?

चांद का नूर तो तब है जब पास रहे, दूर बैठे भी जो दिल में बसा रहे उस अनंत प्रेम को देखा है?

जो ख़ुद टूट कर भी करदे तुम्हारी हर मुराद पूरी, कभी ऐसा अनूठा प्रेम देखा हैं??

वो कहती है, ऐसी...