जब तुम पास में होती हो
मोहब्बत की खुशबू ओढ़ कर
तू चली आना
हर कसमें बंधन तोड़कर
रूठ जाना मुझसे जब
दिल करें तुम्हारा
मगर जाना नहीं
मेरा दिल तोड़कर
ये कविता मोहब्बत की खूबसूरती है
जब तुम्हारे पास आता हूं
तो कैसा लगता है,
तुम्हारे साथ ,
कितना आसान जीवन का सफ़र लगता है
मैं ढूंढता हूं कदमों के निशान
तुम्हारे
तुम्हें जी भरके देखते हुए डर लगता है
कैसे छुपा लेती हो
अपनी पलकों में मुझको
तुम्हारी आंखों का काजल
कितना सुहाना लगता है
मैं...
तू चली आना
हर कसमें बंधन तोड़कर
रूठ जाना मुझसे जब
दिल करें तुम्हारा
मगर जाना नहीं
मेरा दिल तोड़कर
ये कविता मोहब्बत की खूबसूरती है
जब तुम्हारे पास आता हूं
तो कैसा लगता है,
तुम्हारे साथ ,
कितना आसान जीवन का सफ़र लगता है
मैं ढूंढता हूं कदमों के निशान
तुम्हारे
तुम्हें जी भरके देखते हुए डर लगता है
कैसे छुपा लेती हो
अपनी पलकों में मुझको
तुम्हारी आंखों का काजल
कितना सुहाना लगता है
मैं...