चांद समंदर संवाद
#चाँदसमुद्रसंवाद
शांत समंदर अक्सर चांद को
निहारता है
चांद भी समंदर को
बादलों की ओट से झांकता है
एक रोज समंदर का सब्र टूटता है
वो चांद से
अपने दिल का हाल
कह सुनाता है
समंदर कहता है चांद से
एक ही विधाता ने हमे बनाया
तेरे हिस्से आसमान
मुझे जमीन दिया
मेरा मन क्यूं व्याकुल रहता है
मैं क्यूं उफनता...
शांत समंदर अक्सर चांद को
निहारता है
चांद भी समंदर को
बादलों की ओट से झांकता है
एक रोज समंदर का सब्र टूटता है
वो चांद से
अपने दिल का हाल
कह सुनाता है
समंदर कहता है चांद से
एक ही विधाता ने हमे बनाया
तेरे हिस्से आसमान
मुझे जमीन दिया
मेरा मन क्यूं व्याकुल रहता है
मैं क्यूं उफनता...