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चिंतन ✍🏻✍🏻✍🏻
चिंतन से जुडो चिंता छोड़ो
चिंतित हो किसने क्या पाया
चिंता छूटी और चिंतन से ही
एक राम भक्त तुलसी पाया
ये वृथा का जीवन जी आये
क्या करना था क्या कर आये
है खुली आँख पर खुली नहीं
माया की कालिख धुली नहीं
जब मीरा ने कान्हा को धारा
हुआ मंगल जन्म सिद्ध सारा
कंटक निष्कंटक फूल बने
दुःख विपत्ति सब धूल बने
तुम अंश परम परमेश्वर के
अरे क्यों भोग भोगते नश्वर ये
मन को फेरो कृष्णाङ्गण में
साधो प्रभु को इस जीवन में
माया की ठठरी तुम बांधो
कृष्णत्व को जीवन में साधो
जो टूट गया तो कंकर सा
जो ना टूटा वो शंकर सा
कृष्णा ने जीवन भर खोया
पर पाया अतुलित प्रेम सदा
बस करो सार्थक यह जीवन
मिलता मनुष्य तन यदा कदा !
© VIKSMARTY _VIKAS✍🏻✍🏻✍🏻