ग़ज़ल
आज की पेशकश ~
अब कहाँ रह गये वो लोग पुराने वाले।
सीख लो तुम भी नए ढंग ज़माने वाले।
ख़ुद ही भटके हुए लगते हैं ये रहबर सारे,
किसको मिलते हैं सही राह दिखाने...
अब कहाँ रह गये वो लोग पुराने वाले।
सीख लो तुम भी नए ढंग ज़माने वाले।
ख़ुद ही भटके हुए लगते हैं ये रहबर सारे,
किसको मिलते हैं सही राह दिखाने...