#खामोशी....
मेरी खामोशी से समझते हैं
लोग की एक मुर्दा हूं मैं
कैसे बताऊं की कैद
सांसों के बीच जिन्दा हूं मैं
काफिर समझते हैं वो मुझे
झूठे रिवाजों से बेपर्दा हूं मैं
मेरी परवाद को कहते हैं आवारगी
वो क्या जाने की एक परिंदा हूं मै
इन खोई खोई महफिलों में
सबसे जुदा हर लम्हा तन्हा हूं मै
न हो कर भी इस दुनियां में
किसी की यादों के सहारे जिन्दा हूं मैं
© shirri__
लोग की एक मुर्दा हूं मैं
कैसे बताऊं की कैद
सांसों के बीच जिन्दा हूं मैं
काफिर समझते हैं वो मुझे
झूठे रिवाजों से बेपर्दा हूं मैं
मेरी परवाद को कहते हैं आवारगी
वो क्या जाने की एक परिंदा हूं मै
इन खोई खोई महफिलों में
सबसे जुदा हर लम्हा तन्हा हूं मै
न हो कर भी इस दुनियां में
किसी की यादों के सहारे जिन्दा हूं मैं
© shirri__