मासूमियत और मासूम लोग
<क्या जुबां में मिठास रखना जरुरी हैं? क्या ख़ुद को अच्छा कहलाना जरुरी हैं?
क्या दर्द देने वालों को माफ़ करना जरुरी हैं?
इतनी मासूमियत होना क्या जरुरी हैं?
सवाल बहुत हैं पर कुछ जवाब सुनते जाओ इतने मासूम क्यों हो यें भी तो मुझे बाताओ।
क्यों करते हो हो इंतजार इस बात का की तुम्हारी मासूमियत का फायदा उठाया जाए।
ख़ुद के लिए आवाज़ बुलंद रखो धोकेबाजों से सावधान रहो।
जरुरी नहीं तुम ऐसे लोगों के लिए जुबां में मिठास रखो।
उन्हें इतना बता दो की अपने काम से काम रखो।
क्या दर्द देने की साज़िश करने वाला भला था, इतना मासूम होना जरुरी नहीं की गुनाह पर गुनाह लोग करते जाए और बस तुम माफ़ करते रहो।
© rupam dubey