*** नज़र ***
*** कविता ***
*** नज़र ***
" मेरे शामों को तेरी सुबह चाहिए ,
ठहर जाऊ कहीं तुझमें वो नज़र चाहिए ,
जिक्र करने बैठे हैं कि क्या बात की जाये ,
चल कहीं अपनी चाहत ❤️ की आगाज़ की जाये ,
बहकते हैं कदम फिर कहीं...
*** नज़र ***
" मेरे शामों को तेरी सुबह चाहिए ,
ठहर जाऊ कहीं तुझमें वो नज़र चाहिए ,
जिक्र करने बैठे हैं कि क्या बात की जाये ,
चल कहीं अपनी चाहत ❤️ की आगाज़ की जाये ,
बहकते हैं कदम फिर कहीं...