साहस
भय किसको कानन सायों का
यामिनी के फेरे अपने हैं,
दिनकर में इतनी आग कहां
जितनी सपनों में गर्मी है।
कर मध्य कलम की धार गही
शाख वही मजबूत रही,
जीवन के प्रति पन्ने पर,
निज गाथा जिसको गढ़नी है।
घनघोर घटा बादल बरसे
स्वप्नों में जल का जाल बंधा
विकराल दंश का जटिल कोप
विलग न मोही एक दशा।
पत्थर से इस जीवन में
अधिकार तमस का छाया है,
हार नहीं माना फिर भी
तूफानों से टकराया है।।
- अवनि..✍️✨
यामिनी के फेरे अपने हैं,
दिनकर में इतनी आग कहां
जितनी सपनों में गर्मी है।
कर मध्य कलम की धार गही
शाख वही मजबूत रही,
जीवन के प्रति पन्ने पर,
निज गाथा जिसको गढ़नी है।
घनघोर घटा बादल बरसे
स्वप्नों में जल का जाल बंधा
विकराल दंश का जटिल कोप
विलग न मोही एक दशा।
पत्थर से इस जीवन में
अधिकार तमस का छाया है,
हार नहीं माना फिर भी
तूफानों से टकराया है।।
- अवनि..✍️✨