कोई नहीं अपना बस ख़ुदा है
रिहा कर रहा हूं ख़ुदको
उन यादों की कैद से
जो इस दिल को हरदम
दर्द पहुंचाया करती हैं
ये सफ़र मुश्किल बहुत है
थक जाता हूं कभी ख़ुद से ही
भुलाना चाहता हूं जब
उन पलों को जिनको मैं
याद नहीं करना चाहता
तब बड़ी तकलीफ़ होती है
क्यूंकि अक्सर प्यारी यादें ही
ज़ख्मों की...
उन यादों की कैद से
जो इस दिल को हरदम
दर्द पहुंचाया करती हैं
ये सफ़र मुश्किल बहुत है
थक जाता हूं कभी ख़ुद से ही
भुलाना चाहता हूं जब
उन पलों को जिनको मैं
याद नहीं करना चाहता
तब बड़ी तकलीफ़ होती है
क्यूंकि अक्सर प्यारी यादें ही
ज़ख्मों की...