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khud ke saath jeena bhi kaafi lagta hai
ना बैठे भले ही मेरे साथ कोई हरदम तो जरा सा भी अकेलापन नहीं महसूस होता क्योंकि चांद तारों से बातें करके रात बिताना भी काफी अच्छा लगता है

ना जानूं अगर किसी को भी तो कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि राधा कृष्ण को हर रोज थोड़ा थोड़ा जानना भी काफी अच्छा लगता है

ना मिले दाल के साथ अचार और चटनी का जायका, पर हो अगर सूखी रोटी के साथ प्याज भी तो खाने का स्वाद भी काफी मजेदार लगता है

आने वाले कल में जिंदगी का रुख किसी भी मोड़ पर हो पर कुछ शामे उन बेजुबान जानवरों के नाम हो तो इस जहांन में बार बार आना भी काफी अच्छा लगता है।

नींद ना बुने अगर सपनों के धागे तो क्या गम , गीतों के अल्फाजों के साथ छोटे-छोटे ख्याल बुनना भी मुझे दुनिया का एक हसीन ख्वाब लगता है

ठिठुरते मौसम में रजाई में पैर पसार के सोने में जो सुकून मिलता है कभी-कभी उस सुकून को उन गरीबों की झोली में डालना भी दिल को काफी अच्छा लगता है।

ना आए दोस्तों की प्यार भरी चिट्टियां आजकल के स्मार्टफोन के जमाने में तो रत्ती भर भी दुख नहीं होता क्योंकि कहानियों कविताओं वाली किताबें पढ़ कर भी मन खुशी से चहकने लगता है ।

दादा दादी के प्यार की कमी मुझे भी अक्सर खलती हैं पर शायद मैं खुशकिस्मत हूं जो हर रोज उन्हें देखने का कोई ना कोई मौका अपने आप ही मेरे सामने आ जाता है

हजारों की डांट सुनने के बाद भी अगर किसी एक के चेहरे पर मुस्कान लाने की मैं वजह बन पाऊं तो दिल काफी हल्का लगता है

फूलों का अपनी महक से मुझे बुलाना , हवाओं के झोंकों का मुझे गले लगाना ,मुझे सुकून से रूबरू करवाना , प्रकृति का मुझसे दोस्ती करने का ये अंदाज मुझे बहुत हसीन लगता है।

टीवी और फोन को कुछ पल दूर रख कर भी कभी-कभी बीती बातों , चांदनी रातो और चाय के चशको के साथ महफ़िल सजाना भी बहुत खास लगता है

चलते-चलते भिड़ जाना , बैठे बैठे कहीं खो जाना , मन की हेराफेरी में हर काम में गड़बड़ी हो जाना और फिर बाद में खुद ही उन बातों पर जोर जोर से हंसना यह सरफिरापन भी बड़ा प्यारा लगता है

देखो नहीं अगर पूरे दिन में एक दफा भी खुद को आईने में तो सब ठीक लगता है पर देखूं नहीं अपनी कविता को दिन भर में एक दफा भी अपनी आंखों के आईने से तो सब कुछ अधूरा सा लगने लगता है

ना जान पाऊं अगर संसार का सार पर जान लूं माता पिता का वो अनन्त प्यार तो भी ये जीवन मुझे पूरा लगता हैं।

जब उलझने हद से ज्यादा बढ़ जाती है तो अशको में तब्दील हो कर बह जाती है और दिल में उठती हलचल को सुकून का ठहराव दे जाती है इसलिए अभी कभी उलझनों से गुजरना भी बड़ा अच्छा लगता है।

Adrika Mishra