...

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बैठी हो तुम मेरे सामने....
बैठी हो तुम मेरे सामने बस तुम्हे ही देखे जा रहा;
न कह रहा तुमसे कुछ भी तुम में खोया जा रहा;
तुम्हारी झुकी नजर चोरी से देख रहीं हैं मुझको,
न कहते हुए भी मैं,तुमसे सब कुछ कहे जा रहा।


प्यास भरी है आंखों में, मिलने को व्याकुल मन;
चुभन भरी है हिय में आलिंगन को आतुर तन;
कहता है मन मिल जाओ अब सपने में ही तुम;
बस खो जाओ मुझमें, महसूस कराओ अपनापन।


होता आभास अपनेपन का,जब मुझमे खो जाया करती हो;
आंखों से आंसू आते मेरे,जब प्यार जताया करती हो;
दूरी न सहन होती इक पल अब पास मेरे आ जाओ;
हो जाऊं मैं सदा के लिए तुम्हारा,तुम मेरी धड़कन बन जाओ।
© pagal_pathik