...

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positivity
आ के मंज़िल के क़रीं बहके क़दम, अच्छा हुआ
जो हुआ, जैसा हुआ, तेरी क़सम अच्छा हुआ

इश्क़ का मज़मून पढ़ कर हिज्र में ग़ज़लें कहीं
मौत से पहले नहीं ठहरा क़लम, अच्छा हुआ

वो मह़ज़ मेरा था बस ये सोच...