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शिक्षित बेरोजगारी
ज़िम्मेदारी उठाने की उम्र में वो अपनों पर हीं भार है।
कहने को ऊंची डिग्रियां है उनके पास फिर भी बेरोजगार है।
राह देखते-देखते बहालियों की उम्र निकल रही इनकी
पूँजी की अभाव में ये बेबस है लाचार है।

मिल नहीं पा रहा अवसर इन्हें किसी क्षेत्र में जाने को
यूं तो इनके पास कुशलता अपरम्पार है।
देखते है जब घर खर्च चलाते पिताजी को पेंशन से
सच पूछो इन्हें खुद पर होता कितना धिक्कार है।

समाज के ताने अक्सर सुनने को मिलते इन्हें
इन तानों से ऊबकर घर के लोग भी उन्हें लगा देते फटकार है।
अक्सर जब हाथ लगती है असफलताएं तो
हताशाओं से घिरे ये नौजवान हो जाते अवसादग्रस्त कई बार है।

मेहनती होते हुए भी ये युवा -पीढ़ी
कभी राजनीतिक नक्कारेपन कभी आर्थिक पिछड़ेपन के शिकार है।
निकल जाते हैं आगे आसानी से पाकर उच्च पदों को
वह लोग जो किसी खास लोगों के रिश्तेदार है।

भीड़ लगी है बेरोजगारों की घूसखोरों की दलालों
की पिछड़ रहे हैं वह युवा भी उक्त पदों के हकदार है।
अब तो हालत यह है ऊंची डिग्रियां वाले भी डी ग्रेड
का फॉर्म लिए चपरासी बनने तक को तैयार है।

कभी-कभी पैसों की जरूरतें ले जाती है इन्हें गलत राहों पर
असामाजिक तत्वों से मिलकर देते हैं यह गलत कामों को अंजाम है।
होता है पतन देश का युवा पीढ़ी की बर्बादी से
बढ़ती हुई जनसंख्या और बेरोजगारी इसके लिए खास जिम्मेदार है।

© shalini ✍️
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