मेरी तन्हा रातें.... (पार्ट 1)
मै ही अकेला जगता रहा पूरी रात,
जबकि सभी सो चुके है।
लेकिन मेरी आंखों मे से,
वो मीठे सपने कही खो चुके है।
आने नहीं देते नींद, इन आँखो मे कुछ ऐसे धोके,
जो अपनो ने किये हो।
कोइ भी नहीं है ऐसा मेरे साथ,
जिसने कभी मेरे जख्म सियें हो।
समस्या तो उससे भी कही ज्यादा बड़ी है।
यहां बात सिर्फ धोखा नहीं,
और भी रूकावटे,
मेरे और मेरी नींद के बीच मे खड़ी है।
वो हैकुछ ऐसे राज़, कुछ ऐसी डरावनी बातें।
वो आपनो के कोई शाक,
और वो तनो भारी बातें।
सब सोचते है मै हूँ अजीब,
क्युकी वो देखते है मेरी ऊपरी...
जबकि सभी सो चुके है।
लेकिन मेरी आंखों मे से,
वो मीठे सपने कही खो चुके है।
आने नहीं देते नींद, इन आँखो मे कुछ ऐसे धोके,
जो अपनो ने किये हो।
कोइ भी नहीं है ऐसा मेरे साथ,
जिसने कभी मेरे जख्म सियें हो।
समस्या तो उससे भी कही ज्यादा बड़ी है।
यहां बात सिर्फ धोखा नहीं,
और भी रूकावटे,
मेरे और मेरी नींद के बीच मे खड़ी है।
वो हैकुछ ऐसे राज़, कुछ ऐसी डरावनी बातें।
वो आपनो के कोई शाक,
और वो तनो भारी बातें।
सब सोचते है मै हूँ अजीब,
क्युकी वो देखते है मेरी ऊपरी...