कोई एक अपना
छोटी -छोटी खुशियाँ,
जब भी दामन में आईं
बोझिल होती ज़िंदगी फ़िर मुस्कुराई
नहीं की कामना हीरे मोती की मैंने
न चाही रिश्तों...
जब भी दामन में आईं
बोझिल होती ज़िंदगी फ़िर मुस्कुराई
नहीं की कामना हीरे मोती की मैंने
न चाही रिश्तों...