पिता
पनाह मिलती हर गर्दिश के मौसम में
वो ख़ुद ख़ामोशी से दर्द सहा करता है
पोंछ कर आँसू अपने बच्चों का वो
ख़ुद जज्बातों में बहा करता है
लहजा वो दिखलाता ऐसा हरदम
परे होकर दुआओं से बच्चों के लिए दुआ करता है
जो लड़ जाएं पूरी दुनिया से अकेले...
वो ख़ुद ख़ामोशी से दर्द सहा करता है
पोंछ कर आँसू अपने बच्चों का वो
ख़ुद जज्बातों में बहा करता है
लहजा वो दिखलाता ऐसा हरदम
परे होकर दुआओं से बच्चों के लिए दुआ करता है
जो लड़ जाएं पूरी दुनिया से अकेले...