सूखा ठूंठ हूँ
#Invisible
सूखा ठूंठ हूँ , आज भी किसी का वजूद हूँ मैं।
हुआ करता था कभी हरा-भरा, क्या सबूत दूँ मैं?
शाखाएंँ थीं...
सूखा ठूंठ हूँ , आज भी किसी का वजूद हूँ मैं।
हुआ करता था कभी हरा-भरा, क्या सबूत दूँ मैं?
शाखाएंँ थीं...