...

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महकेगी ख़ुशबू ...
मेरे इंतज़ार में रात जागे आज बिस्तर मेरा !
तेरी तलाश में नींद ढूंढे आज ख़्वाब मेरा !

हकीक़त ए हयात हुई रूबरू कुछ इस तरह ,
रात पूनम में भी ओझल है आज चाँद मेरा !

खोयी खोयी सी रहती हूँ जैसे अजनबी कोई ,
मुझ से ही बेहद ख़फा है आज वजूद मेरा !

सेहर ए अल्फाज़ तेरा असरदार इस क़दर ,
मुद्दतों बाद बदलने लगा आज अरमान मेरा !

मेरे ज़ेहन से धुंधला रहा हैं स्याह रंग सभी ,
पर रंग ए इन्द्रधनुष से दूर आज नसीब मेरा !

सूखे दरख़्त से निकले आस के कोपलें कई ,
थके हुए चेहरे पर मुस्कुराएँ आज अश़्क मेरा !

है ज़िद , महकेगी ख़ुशबू हमेशा 'बोकुल ' की ,
तुम करना वार, है तैयार माफ़ी का ख़ंज़र मेरा !