...

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गुनाह की पहचान
गुस्ताख हूं मै
कम या ज़्यादा
हर किसी में मौजूद हूं मै
कभी आवाज़ तो
कभी ख़ामोश हूं मै
कभी तलवार तो
कभी ज़ंजीर हूं मै
किसी का इंसाफ
किसी का प्रहार हूं मै
कभी अंधेर को
ढेर करता खंजर हूं मै
गुनाह हूं मै
सबके कदम से
बनता हुंकार हूं मै
किसी के दम से बना
शैतान हूं मै
किसी के कर्म से बना
हैवान हूं मै
मेरी कानून की
कोई बुनियाद नहीं
मेरी पहचान है
हर गलत कर्म से है
गुस्ताख हूं मै
कम या ज़्यादा
हर किसी में मौजूद हूं मै

- अनु अनुष्का