...

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गुनाह की पहचान
गुस्ताख हूं मै
कम या ज़्यादा
हर किसी में मौजूद हूं मै
कभी आवाज़ तो
कभी ख़ामोश हूं मै
कभी तलवार तो
कभी ज़ंजीर हूं मै
किसी का इंसाफ
किसी का प्रहार हूं मै
कभी अंधेर को
ढेर...