...

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हे महाशक्ति!
हे महाशक्ति!!
तू कामिनी तू रणरागिणी,
कांता वनिता तू ही रमणी...
गृह की गरीमा तू वो गृहिणी...

एहसास के दर्पण की जिसे आवश्यकता नहीं,
खुद को अर्पण करूं मैं वहीं...
तू ही तिरिया तू ही जगप्रिया,
महाशक्ति तू ऐसी जिसे देवों ने भी नमन‌ किया।

तुझ जैसी न किसी में लक्ष्य प्राप्त करने‌ की व्याकुलता,
तुझ जैसी न‌ किसी के हृदय में बसती अमृत सी ममता,
हुआ कल्याण जब देखी सारे ब्रह्माण्ड ने तुझमें निर्मलता..
निगाह जब जब‌ हुई वक्र इस विश्व की किया नाश पाप पापियों का लिए रूप काली मां का...

तू ही है करता धरता,...