...

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ईश्वर प्रेम
हर कोई कान्हा नहीं
हर कोई राधा भी नहीं होती है
मीरा नहीं सीता नहीं
शबरी भी कहां सब होती हैं
हर बूँद कहां सीपी में गिरी
और बनती कहां मोती है
ईश्वर के जैसा प्रेम कहां ,
प्रेम में भी तो भक्ति होती है
पार्वती के जैसा प्रेम करें
कहां सबमें शक्ति होती है
किसने देखा है प्रेम रुप
,कहां सबमें ये लकीरें होती है
अपने अपने अनुभव सबके,
सबकी अपनी व्यथाएं होती हैं
ईश्वर की ही तो सब महिमा है
जो दुनिया में इतनी गीता रामायण होती हैं!
Namita Chauhan

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