![...](https://api.writco.in/assets/images/category/big/poetry.webp)
2 views
गुरु पूर्णिमा विशेष
गुरु पूजन की शुभ घड़ी आई,
यह प्रथा कब से और कैसे चली आई,
आओ बताऊं मैं इसकी सच्चाई।
आषाढ़ मास की पूर्णिमा थी वह,
जब महर्षि वेदव्यास ने अपने शिष्यों की पुराणों से थी पहचान कराई,
कृतज्ञ शिष्यों ने गुरु पूजन की तब से थी प्रथा चलाई।
इसलिए हर सनातनी के लिए इसदिन उस गुरु की विशेष महत्ता बतलाई,
जिसने मातृभाषा सिखलाई।
अक्षर ज्ञान ही ना होगा तो,
कैसे होगी पुराणों से पहचान मेरे भाई,
सभी गुरुजनों को गुरु पूर्णिमा की ढेरों बधाई।
© kalyani
यह प्रथा कब से और कैसे चली आई,
आओ बताऊं मैं इसकी सच्चाई।
आषाढ़ मास की पूर्णिमा थी वह,
जब महर्षि वेदव्यास ने अपने शिष्यों की पुराणों से थी पहचान कराई,
कृतज्ञ शिष्यों ने गुरु पूजन की तब से थी प्रथा चलाई।
इसलिए हर सनातनी के लिए इसदिन उस गुरु की विशेष महत्ता बतलाई,
जिसने मातृभाषा सिखलाई।
अक्षर ज्ञान ही ना होगा तो,
कैसे होगी पुराणों से पहचान मेरे भाई,
सभी गुरुजनों को गुरु पूर्णिमा की ढेरों बधाई।
© kalyani
Related Stories
4 Likes
0
Comments
4 Likes
0
Comments