...

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फरेब
चाहता था हर वक़्त तेरा साथ गुनाह क्या था
मिलने से किया इंकार मेरे बारे में सुना क्या था

बेफिज़ूली की बाते ज़माने की याद है तुझें अब तलक
और तुझे याद ना तिरे मिरे दरमियां हुआ क्या था

क्या हसीन बहाना हैं कि वक़्त सब सिखा देता हैं
पहले ये तो बता हमे छोड़ा जों तूने मेरी खता क्या है

मुझसे मिले बिना गुजार पाती ना थीं एक लम्हा कभी जों
अब मुझ से ही सवालात ए अजनबी तेरा पता क्या है

अंजाम ए मुहब्बत में मुझें मिला है ज़ो फरेब
आशिकों के लिये इसमें सबक नया क्या हैं

सब कुछ लुटा दिया इक शख्स के भरोसे की ख़ातिर
अब इस नाचीज़ का हाल ए दिल बया क्या है
© V K Jain