अपने ही शरीर मै🤫🤫
अपने ही शरीर मै केद होकर रह गए है
ये जज्बात है जो कभी किसी से नहीं कहे गए है
शीशे के उस और है नहीं हम
उस रोज डांट खाई समाज से
जब करने लगे व्यवहार
लडको जैसा
ले रहे थे जिस रोज दवाओं का डोज
एक किस्सा मां उस दिन ले बैठी थी
कहती कि वो लड़की बन गई आज एक लड़का
हम खुद को चुप करके बैठे रहे
बस सुनते रहे
आपका क्या विचार है???
अब भगवान ने उसे ऐसा बनाया तो ठीक है...
ऐसा...
ये जज्बात है जो कभी किसी से नहीं कहे गए है
शीशे के उस और है नहीं हम
उस रोज डांट खाई समाज से
जब करने लगे व्यवहार
लडको जैसा
ले रहे थे जिस रोज दवाओं का डोज
एक किस्सा मां उस दिन ले बैठी थी
कहती कि वो लड़की बन गई आज एक लड़का
हम खुद को चुप करके बैठे रहे
बस सुनते रहे
आपका क्या विचार है???
अब भगवान ने उसे ऐसा बनाया तो ठीक है...
ऐसा...