...

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अनजान
आंखों से बहने वाले आंसू
नहीं दिखे तुम्हें कभी,
ना ही दिखे तुम्हें
आंखों से बयां होने वाले मेरे जज़्बात,
कहते रहे, सब पढ़ लेता हूं मैं,
पर नहीं पढ़ पाए।
ये आशाओं से भरी आँखें
जो हँसती थी
तुम्हारे होने पे,
जो रोती थी
तुम्हें खोने से।
जो बयां करती रहती थी,
मेरे दिल की बातें
जो सपनों में
देखती रहती थी,
वो हसीन मुलाकातें।
आज नम हैं वो आंखें
आज खोखले हैं वो जज़्बात,
जो ना ही तुम पढ़ पाये
और ना ही समझ पाये।

© the_mystical_maiden