...

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शायरी....
तुम्हारी अदाओं का ख्याल करते करते
कलम को मुझ से
यारी होने लगी है,,

उंगलियां भी नहीं थकती ,
न जाने क्यूं, तुम्हारी बेवफाई
प्यारी लगने लगी है,,।

आओ कभी तुम भी सुनने
हाल-ए-दिल-ए-सोज़ाँ
हमारी दहलीज पे ,
रोज इक
महफिल संवरने लगी है।
© @mr.rupeshkumar

{हाल-ए-दिल-ए-सोज़ाँ. =>
जलते हुए दिल का हाल}