ख़ामोश पल
दिन भर की दौड़ में,
आगे बढ़ने की होड़ में,
मन कहता है कहीं और चल,
ज़हन ढूंढता है कुछ ख़ामोश पल,
इश्क और माशूक की दुनिया से दूर,
मैं बैठता हूं कहीं थक के चूर,
चंद लम्हे मिलें खुद से मिलने...
आगे बढ़ने की होड़ में,
मन कहता है कहीं और चल,
ज़हन ढूंढता है कुछ ख़ामोश पल,
इश्क और माशूक की दुनिया से दूर,
मैं बैठता हूं कहीं थक के चूर,
चंद लम्हे मिलें खुद से मिलने...