"बसंत"
अल्हड़-मौजी सच्चे-कच्चे,
पहरों में सिमट न पाऊंगी।
आशीषों से शीष सजें,
देह स्वर्णिम पा जाऊंगी।
क्या...
पहरों में सिमट न पाऊंगी।
आशीषों से शीष सजें,
देह स्वर्णिम पा जाऊंगी।
क्या...