कहना है खुद से
बहुत कुछ है कहना मुझे।
अपने आप से।
कहाँ खो गयी।
मैं दुनिया के हिसाब से
साथ तो हूँ सब के मैं
फ़िर किसी कोने मे मैं तन्हा कैसे रह गयी।
हँसी तो है होठों पर मेरी खुद की हँसी कहाँ खो गयी।
© संगीता बिष्ट नेगी
अपने आप से।
कहाँ खो गयी।
मैं दुनिया के हिसाब से
साथ तो हूँ सब के मैं
फ़िर किसी कोने मे मैं तन्हा कैसे रह गयी।
हँसी तो है होठों पर मेरी खुद की हँसी कहाँ खो गयी।
© संगीता बिष्ट नेगी