आवारा बंजारा
न पूछो कहाँ तक चले कदम, कहाँ मंजिल है!
कुछ भी तो मालूम नहीं क्या कहता दिल है!
रस्ते रस्ते भटक कर नयन भर आये हैं,
ए दिल बता अब क्या तेरी मंजिल है!
कितने चेहरे देख कर कितनी कहानियाँ लिख आये!
फिर भी न था कोई ऐसा जिस पर नजर रुक जाये!
ये नजरो का फेर है ये कुसूर दिल का,
अब तू ही बता दिल क्या तेरी मंजिल...
कुछ भी तो मालूम नहीं क्या कहता दिल है!
रस्ते रस्ते भटक कर नयन भर आये हैं,
ए दिल बता अब क्या तेरी मंजिल है!
कितने चेहरे देख कर कितनी कहानियाँ लिख आये!
फिर भी न था कोई ऐसा जिस पर नजर रुक जाये!
ये नजरो का फेर है ये कुसूर दिल का,
अब तू ही बता दिल क्या तेरी मंजिल...