...

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ये फिजायें
ये फिज़ायें ये नजारें देखते तो सही
ये इश्क़ ये इशारे देखते तो सही

गज़ल ओर कविता के दौर में
मुहब्बत के इशारे देखते तो सही

महक हैं फैली इस सुहाने मौसम में
मिल कर ये बैचेनी देखते तो सही

गुलाम हुये तेरे इश्क़ में हम तो
फ़ना कब से हैं देखते तो सही

देखी जब फिजाओं की रंगीनियां
"रीना"की ये बैचेनी देखते तो सही

©®रीना