...

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मित्र मिलन -2 (from Shree Krishna)
महर्षि सांदीपनि गुरु के आश्रम,
सौन्दर्यों से भरा है देबाश्रम....
नदिओं की लहरें बहते जाते,
सुमन की खुसबू मोहते जाते.....
उस आश्रम में बलराम श्री कृष्ण,
सुदामा के साथ करते शिक्षा ग्रहण.....
श्री कृष्ण सुदामा मित्रता करते,
मित्र धर्म को वो दोनों निभाते.....
भोजन दोनों साथ करते हैं,
दोनों मिलके वो वन जाते हैं....
श्री कृष्ण सुदामा बड़े होते हैं,
अपने कर्मो से वो मग्न रहते हैं.....
सुदामा है एक ब्राह्मण देवता,
ब्राह्मण धर्म को पालन करता....
ब्रह्म ज्ञानी है सुदामा ब्राह्मन,
सत्य धर्म को वो करता पालन.....
सुदामा बड़ा ही दरिद्र होता,
प्रतिदिन भिक्षा ग्रहण करता....
ब्राह्मणो का एक धर्म होता है,
पंच गृहों से वो भिक्षा लेते हैं....
अन्न न मिले तो जलपान करते,
बच्चे और बीवी भूखे पेट सोते.....
सुदामा के आँखों से अश्रु बहते,
श्री कृष्ण श्री कृष्ण नाम जपते....
श्री कृष्ण भगवन का भक्त वो होता,
मित्र धर्म को वो साथ निभाता.....
द्वारिकापति हैं श्री कृष्ण भगवन,
प्रजा पालक हैं वासुदेव नंदन.....
एक राजा और एक दरिद्र ब्राह्मण,
एक नर है और एक नारायण......
मित्रता की परिभासा बताने,
चले नर नारायण मित्रता करने......
अपने दिव्य ज्ञानो से नारायन,
सुदामा की दशा देखते भगवन....
दशा सुदामा की देख न पाते,
श्री कृष्ण...