...

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भूली_बिसरी यादें।
यादों पर किसका पहरा है।
यादें तो मिटती नहीं....।

खट्टी _मीठी यादें होती है,
यह रेत से बनी होती नहीं....।

ऐसी ही यादें जुड़ी है,
मेरी भी जीवन में।

चाह कर भी पीछा ना छुड़ा सकूं,
इस धूप_छांव जीवन में।

जिसको देखो वह अपना ही रोता है,
बीते लम्हों को यादें संयोग कर शिकवा करता है।

हर आदमी के पास है भूली_बिसरी यादें,
कहीं दीवारों पर टंगे है बनकर तस्वीरों में।

कहीं यादें कैद है एलबम में,
मगर...दिल में बसी यादें रुलाती_हसाती है।

इस आपाधापी जीवन में सच कहूं,
जीने का सहारा है,बस...भूली_बिसरी यादें।
: कुमार किशन कीर्ति।