BACHPAN..♥️
वो बचपन भी कितना सुहाना था,
जिसका रोज एक नया फसाना था ।
कभी पापा के कंधो का,
तो कभी मां के आँचल का सहारा था।
कभी बेफिक्रे मिट्टी के खेल का,
तो...
जिसका रोज एक नया फसाना था ।
कभी पापा के कंधो का,
तो कभी मां के आँचल का सहारा था।
कभी बेफिक्रे मिट्टी के खेल का,
तो...