मैं नारी हूं।
बहुत अंधेरा है यहां
मुझे डर लग रहा है,
कहीं गहराई से
आवाज़ें आ रही हैं,
कोई ख्याल तंग कर रहा है।
कोई कह रहा है
तू अकेली है,
बहुत बेरहम है ये जहां।
कोई कह रहा है
नहीं चल सकेगी तू
बहुत कांटे उगे हैं यहां।
एक बात ये भी आईं
मेरे कानों तक
लड़की है तू,
नहीं जा सकती अपनी बगल की दुकानों तक।
माना बहुत कमज़ोर हूं मैं
डर जाती हूं ज़रा चिल्लाने पर
कोई गर इक थप्पड़ लगा दे
बह जाते हैं आंसू रुखसारों पर।
सब सच है, हां सच है
हूं मैं ऐसी।
खोजी बड़ी मुश्किल से
मेरे...
मुझे डर लग रहा है,
कहीं गहराई से
आवाज़ें आ रही हैं,
कोई ख्याल तंग कर रहा है।
कोई कह रहा है
तू अकेली है,
बहुत बेरहम है ये जहां।
कोई कह रहा है
नहीं चल सकेगी तू
बहुत कांटे उगे हैं यहां।
एक बात ये भी आईं
मेरे कानों तक
लड़की है तू,
नहीं जा सकती अपनी बगल की दुकानों तक।
माना बहुत कमज़ोर हूं मैं
डर जाती हूं ज़रा चिल्लाने पर
कोई गर इक थप्पड़ लगा दे
बह जाते हैं आंसू रुखसारों पर।
सब सच है, हां सच है
हूं मैं ऐसी।
खोजी बड़ी मुश्किल से
मेरे...