...

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मैं जब भी लिखती हूँ
मैं जब भी लिखती हूँ बेशुमार लिखती हूँ
हर पन्ने पर अपने दर्द का हिसाब लिखती हूँ
जो रह गयी ख्वाहिशें मन में दबी कहीं ,
उनका जिक्र बार-बार लिखती हूँ |

मैं जब भी लिखती हूँ अपने जज्बात लिखती हूँ
कोरे कागज़ पर अधूरे ख्वाब लिखती हूँ ...