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Prem
पुरुष यानि......???
पुरुष याने कि
पत्थर में अंकुरित कोंपल....
पुरुष मतलब...
लोहे के सीने के पीछे
धक-धक करता कोमल ह्रदय
पुरुष याने...
कोयल की कुहूक ढ़ूँढता वृक्ष
पुरुष कहता है
"आज मूड ठीक नहीं है,
दिमाग़ ठिकाने नहीं है...."
पर, शायद ही कहेगा कि
आज मन उदास है...
स्त्री...
पुरुष के कांधे पर सर रखकर रो लेती है,
जब कि, पुरुष...
पुरुष तो यह भी
नही कर पाता...
स्त्रियों को...
अपने पुरुष के शर्ट पे बटन लगाने में
जो रोमांच होता है....
वही रोमांच उसी वक्त स्त्री को
गले लगाने में
पुरुष को होता है....
धंधे में लाखों का धाटा सह जाता है
पर रिश्तों में दगा
पुरुष भी नहीं सह पाता ....
समर्पण स्त्री का स्वभाव है...
और पुरुष की दिली तमन्ना
स्त्री के आँसू अंधेरे में भी
दिखते है.....
पुरुष के आँसू
उसके तकिये को भी नहीं दिखते ...
कहते है...
स्त्री को चाहते रहो,
तो उसे खुद-ब-खुद
समझ जाओगे
मैं कहता हूँ...
पुरुष को बस...समझो ,
अपने आप चाहने लगोगी उसे
और वो तुम्हे...!!
🌹🌹🌹🌹💕💕
पुरुष याने कि
पत्थर में अंकुरित कोंपल....
पुरुष मतलब...
लोहे के सीने के पीछे
धक-धक करता कोमल ह्रदय
पुरुष याने...
कोयल की कुहूक ढ़ूँढता वृक्ष
पुरुष कहता है
"आज मूड ठीक नहीं है,
दिमाग़ ठिकाने नहीं है...."
पर, शायद ही कहेगा कि
आज मन उदास है...
स्त्री...
पुरुष के कांधे पर सर रखकर रो लेती है,
जब कि, पुरुष...
पुरुष तो यह भी
नही कर पाता...
स्त्रियों को...
अपने पुरुष के शर्ट पे बटन लगाने में
जो रोमांच होता है....
वही रोमांच उसी वक्त स्त्री को
गले लगाने में
पुरुष को होता है....
धंधे में लाखों का धाटा सह जाता है
पर रिश्तों में दगा
पुरुष भी नहीं सह पाता ....
समर्पण स्त्री का स्वभाव है...
और पुरुष की दिली तमन्ना
स्त्री के आँसू अंधेरे में भी
दिखते है.....
पुरुष के आँसू
उसके तकिये को भी नहीं दिखते ...
कहते है...
स्त्री को चाहते रहो,
तो उसे खुद-ब-खुद
समझ जाओगे
मैं कहता हूँ...
पुरुष को बस...समझो ,
अपने आप चाहने लगोगी उसे
और वो तुम्हे...!!
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