मेरा गुमनाम प्यार
क्या तू क्वासिद है ईश्वर की या कोई इबादत
या एक ख्वाब जो है स्वास्तिक सा पाक।
ना तुझे दिखावे का शौक है ना दिल में कोई द्वेष
लगता है हमारा मिलना कायनात का कोई संदेश।
तेरी मन भावन सीरत करती है मंत्र मुग्ध...
या एक ख्वाब जो है स्वास्तिक सा पाक।
ना तुझे दिखावे का शौक है ना दिल में कोई द्वेष
लगता है हमारा मिलना कायनात का कोई संदेश।
तेरी मन भावन सीरत करती है मंत्र मुग्ध...