...

12 views

मेरा गुमनाम प्यार
क्या तू क्वासिद है ईश्वर की या कोई इबादत
या एक ख्वाब जो है स्वास्तिक सा पाक।
ना तुझे दिखावे का शौक है ना दिल में कोई द्वेष
लगता है हमारा मिलना कायनात का कोई संदेश।
तेरी मन भावन सीरत करती है मंत्र मुग्ध
तुझे देख मैंने जाना होता है कौस्तुभ।
मैं फलक का राही हूं तेरे दीदार को रुकता हूं
मैं वह आग हूं जो तेरी सरलता से बुझता हूं।
कुछ कहना भी चाहता हूं पर बोल गलत से हैं
मेरा पैसा और घमंड तेरे सामने खाक में मिलते हैं।
मैं भावों को शब्दों में पिरो कर तुझे पहना रहा हूं
तुझसे तेरे दिल का एक हिस्सा ही तो मांग रहा हूं।

#meraishq