स्मृतियाँ
स्मृतियाँ.....
जो बहुत अच्छी हैं
उनकी छाप मन पर
कम ही रही
जो उदास रहीं
वो याद रहीं
फिर यादगार बन गईं
इतनी यादगार
कि....
मैं स्वयं को भूलने लगी
याद रहा तो बस उदास रहना
एक यही एहसास
बहुत मजबूती से पकड़ कर रखा है
खुशियों के कितने ही झोंके आएं
आँधियाँ चलें
ये पकड़ कभी ढ़ीली नहीं पड़ी
मेरे होंठों के किनारों पर
मुस्कुराहटें इंतज़ार करती रह जाती हैं
मैं उन्हें उल्टे पांव
वापस भेज देती हूँ
अब जब कभी आईना देखती हूँ
तो वो लड़की नहीं मिलती
जिसकी आंखें मुस्कुराती थी
जिसकी पेशानी आत्मविश्वास से चमकती थी जिसकी पलकों पर बैठा...
जो बहुत अच्छी हैं
उनकी छाप मन पर
कम ही रही
जो उदास रहीं
वो याद रहीं
फिर यादगार बन गईं
इतनी यादगार
कि....
मैं स्वयं को भूलने लगी
याद रहा तो बस उदास रहना
एक यही एहसास
बहुत मजबूती से पकड़ कर रखा है
खुशियों के कितने ही झोंके आएं
आँधियाँ चलें
ये पकड़ कभी ढ़ीली नहीं पड़ी
मेरे होंठों के किनारों पर
मुस्कुराहटें इंतज़ार करती रह जाती हैं
मैं उन्हें उल्टे पांव
वापस भेज देती हूँ
अब जब कभी आईना देखती हूँ
तो वो लड़की नहीं मिलती
जिसकी आंखें मुस्कुराती थी
जिसकी पेशानी आत्मविश्वास से चमकती थी जिसकी पलकों पर बैठा...