...

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Yeh dard
दर्द भी अब दर्द
सा होता नही है।
हधे सारी
पार की इसने।
सूखे आंसू इन आखों में
अब मन पहले सा
ठहरता नही है।
मन में चलती
हजारों ख्वाइसे
दबी कुचली
फरमाइसें
खाक होते सारे सपने।
अब मुझमें मेरा वजूद
ठहरे से ठहरता नही है।
वो मिट चुके सारे अरमान
धुआं होते इश्क के सफीने
अब दिल भी पहले सा
जिद्द करता नही है।
खामोशी की चादर ओढ़े लब मेरे
अब दर्द में भी
होटों पे थिरकन होता नहीं है।
मिट गए सारे सपने ...