साये
रात के गहरे वे साये
अब तलक हैं वार करते
गर अशंकित मन न होता
बंद हम क्यों द्वार करते।...
अब तलक हैं वार करते
गर अशंकित मन न होता
बंद हम क्यों द्वार करते।...