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स्वाभिमान...
अनुमान, अपमान, अभिमान से भरा इस दुनिया में,
मान, सम्मान की आकांक्षा प्रतीक्षा निरीक्षा बिना
"स्वाभिमान" से जीवन चलाने लगी वह महिला।।
उसकी महिमा की कोई सीमा नहीं है ।
उसकी गरिमा की वर्णन में,
कोई उपमा भी नहीं है।।
ज़मीं तो ज़मीं, आसमान छू लेने की अरमान लिएं
उमंग उत्साह की पंखो को बिछाकर उड़ने लगी।
सारा जहान ही अपनी है, ऐसे सोचके
निमृत स्नेह, निस्वार्थ प्रेम की प्रकंपनो को
फैलाते चली।
उसकी जीवन गाथा, करिश्मा से भी कम है नहीं।।
© Vanishri Patil
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मान, सम्मान की आकांक्षा प्रतीक्षा निरीक्षा बिना
"स्वाभिमान" से जीवन चलाने लगी वह महिला।।
उसकी महिमा की कोई सीमा नहीं है ।
उसकी गरिमा की वर्णन में,
कोई उपमा भी नहीं है।।
ज़मीं तो ज़मीं, आसमान छू लेने की अरमान लिएं
उमंग उत्साह की पंखो को बिछाकर उड़ने लगी।
सारा जहान ही अपनी है, ऐसे सोचके
निमृत स्नेह, निस्वार्थ प्रेम की प्रकंपनो को
फैलाते चली।
उसकी जीवन गाथा, करिश्मा से भी कम है नहीं।।
© Vanishri Patil
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