आदमी
जो सरल स्वभाव के लोग होते हैं, वे स्वयं जैसा व्यक्तित्त्व ही दूसरों में तलाशते हैं, क्योंकि कलाकारी करना उनके रक्त में नहीं होता है, वे सोचते हैं जितना वे खुद अच्छे हैं उतने ही दूसरे भी होंगे लेकिन वे चूक जाते हैं, और जैसे ही उन्हें इस संसार में चालाक और क्रूर लोगों का पता चलता है, तो वे बड़े दुःखी होते हैं और उन्हें उस समय अपने खुद के प्रियजनों की याद सताने लगती है।अच्छे लोग है कहाँ? मेरी माँ अक्सर कहा करती है- बेटा तू सोचता है वैसे लोग नहीं है, तू सोचता है वैसी दुनिया नहीं है ।अमेरिका का बड़ा प्रसिद्ध दार्शनिक हुआ Mark Twain - जो कहा करता था मैं जितना लोगों के बारे में जानता हूँ उतना ही मैं मेरे कुत्ते को पसंद करता हूँ। अब बोलो!
© 🌍Mr Strength
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