कभी फूलों ने पूछा है..
कभी फूलों ने पवन से नहीं पूछा मेरी खुशबू क्यूँ चुराती हो..
या कभी सरिता समंदर में मिलने से शर्माती हो..
कभी देखा है तुमने सूरज की रोशनी में कोई भेदभाव..
या कभी चाँद की चांदनी ने किया हो दुराव..
ये सब ऐसे ही बिना किसी रूकावट के सदियों से चल रहा है..
ये गुलशन ख़ुदा का...
या कभी सरिता समंदर में मिलने से शर्माती हो..
कभी देखा है तुमने सूरज की रोशनी में कोई भेदभाव..
या कभी चाँद की चांदनी ने किया हो दुराव..
ये सब ऐसे ही बिना किसी रूकावट के सदियों से चल रहा है..
ये गुलशन ख़ुदा का...