ek khilta hua surajmukhi
धूप की किरणों में खिलता है सूरज का फूल, भूमि को रंगीन बनाता,
खुशियों का अबोध।सूर्यमुखी के पर्वतीय दर्शन, रंग-बिरंगी राहें,
प्रकृति की सुंदरता का वर्णन, इन्हीं बगीचों में बसता अबोध।
खिलते हैं वो आसमानी रंग, खुशबू से भरा हर वक्त, जीवन की खुशियों का गीत, बजता अबोध।
शिखर पर उनकी मस्त मस्त दहलीज़, देती सूर्य को विदाय, मिलता उसका प्यार आकाश से, इन पेड़ों की उपासना अबोध।
सूरज की किरणों का बिखेरा उनका गीत, सूर्यमुखी, प्रकृति की नन्ही कला, हर दिल में बसता अबोध।
© Piaa
खुशियों का अबोध।सूर्यमुखी के पर्वतीय दर्शन, रंग-बिरंगी राहें,
प्रकृति की सुंदरता का वर्णन, इन्हीं बगीचों में बसता अबोध।
खिलते हैं वो आसमानी रंग, खुशबू से भरा हर वक्त, जीवन की खुशियों का गीत, बजता अबोध।
शिखर पर उनकी मस्त मस्त दहलीज़, देती सूर्य को विदाय, मिलता उसका प्यार आकाश से, इन पेड़ों की उपासना अबोध।
सूरज की किरणों का बिखेरा उनका गीत, सूर्यमुखी, प्रकृति की नन्ही कला, हर दिल में बसता अबोध।
© Piaa