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आज देखा खुद को
उन पुरानी तसवीरो में ,
जहां हसने के लिए
किसी तमीज की जरूरत नही थी
और रोने के लिए
किसी तनहाई की ,
जिन्दगी सिखाती गई
हम सीखते गए ,
ऐसे नही...
उन पुरानी तसवीरो में ,
जहां हसने के लिए
किसी तमीज की जरूरत नही थी
और रोने के लिए
किसी तनहाई की ,
जिन्दगी सिखाती गई
हम सीखते गए ,
ऐसे नही...