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वस्तुकाआवारण
#वस्तुकाआवारण

चट्टानें जो पड़ी हैं मौन,
धरती की धड़कन रखती हैं कौन।
न साँस, न धारा, फिर भी हैं अटल,
निरंतर शक्ति, शाश्वत अचल।रेत जो उड़ती है वीराने में,
समय की कहानी है हर दाने में।
न सोच, न सपने, फिर भी समाई,
रेत के कणों में युगों की छाईं।तारे जो चमकते हैं नभ में,
न कोई आवाज़, न आँसू बहते हैं।
फिर भी अपनी रोशनी में संजोए,
रात को कहानियों से सजाए।किताब जो पड़ी है कोने में,
न मन, न आत्मा, पर धरोहर है युगों में।
इसके पन्ने इंतज़ार में हैं,
पढ़ने वाले आँखों का आभार हैं।ये चीज़ें, भले ही मौन सही,
समय और जीवन की कहानियाँ कई।
इनमें छिपी है एक जादुई छटा,
निर्जीव चीज़ों की अनकही सत्ता।

© Hiten Biswal